Saturday, 20 December 2025

अरावली की बात

आओ करें अरावली की बात,
करोड़ों साल पुरानी इस पर्वत श्रृंखला की।
जहाँ से कई नदियों का उद्गम हुआ है,
वहाँ आज इसे तोड़ने की तैयारी है।
सुप्रीम न्यायालय ने ये ज़िद ठानी है,
अरबपतियों की झोली जो भरनी है।

आज वो रेडियो चुपचाप पड़ा है,
जिस पर राजा आकर दो शब्द बोलता था-
कि वो विकास करेगा, सबको नौकरी देगा।
पर उसने भी एक ज़िद ठानी है,
अरावली को तोड़कर,
अरबपतियों की झोली जो भरनी है।

कहाँ गया वो सम्मान उस माँ का,
जिसके नाम पर योजना चलती है?
कभी गंगा का नाम लेकर वोट माँगे,
तो कभी दूसरे देश में जाकर पेड़ लगाए।
इस राजा ने ज़िद ये ठानी है,
अरबपतियों की झोली जो भरनी है।

क्या होगा उन जन जीवो का,
जिन्होंने इस जगह को जाना है,
और वो कहीं नहीं जा सकते—
बस यहीं उनका बसेरा है।
पर सुप्रीम न्यायालय ने ये ज़िद ठानी है,
अरबपतियों की झोली जो भरनी है।

शासन हो या न्यायालय,
देश से बड़ा कोई भी नहीं।
बात नहीं ये किसी के सम्मान की,
हमारा भविष्य अंधकार से भरा है।
जिद इन्हे अपनी छोड़नी है,
क्योंकि जंगल माँगते आजादी।

"अरावली की बात " is a poem that i wrote about the need to save Aravalli from the harrowing decision by the honorable Supreme Court of India. However, this is not the first time attempt of people in power trying to encapsulate Aravalli into something worthless. This mountain range has been for years, under threat from mining, deforestation, etc. This is the oldest mountain range of India and acts like a barrier to save states like Delhi and Haryana from turning into a desert and thus it is very helpful in regulating the climate of the region.Writing in Hindi felt necessary because English failed to carry all of my fury. 

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अरावली की बात

आओ करें अरावली की बात, करोड़ों साल पुरानी इस पर्वत श्रृंखला की। जहाँ से कई नदियों का उद्गम हुआ है, वहाँ आज इसे तोड़ने की तैयारी है। सुप्रीम ...